Tulsi Vivah 2023: जाने तुसली विवाह के दिन पढ़ें ये आरती और मंत्र, तुलसी माता करेंगी आपकी मनोकामनाएं पूर्ण  

mithlesh
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Tulsi Vivah 2023 भारत देश धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ हैं। हमारे देश में सभी धर्मो के लोग रहते हैं और सभी का भगवान को पूजने का तरीका अलग हैं। हिन्दू धर्म में भी बहुत से ऐसे त्यौहार और व्रत हैं जिन्हे लोग बड़ी धूम धाम से और श्रद्धा से मनाते हैं। दरअसल हर त्यौहार और व्रत के पीछे, उसे मनाने की एक वजय होती हैं। 

आज हम एक ऐसे ही त्यौहार और व्रत की बात कर रहे हैं। जी हाँ। हम बात कर रहे हैं तुलसी पूजन Tulsi Vivah 2023 की। क्या आप जानते हैं की Tulsi Vivah 2023 तुलसी पूजन क्यों किया जाता हैं। इस व्रत को रखने की क्या वजह है? कैसे ये भगवन विष्णु से जुड़ा हैं और कौन से मन्त्र और आरती इस दिन की जाती हैं? चलिए जानते हैं इस पोस्ट में।  

Tulsi Vivah 2023 Overview

Tulsi Vivah 2023 Overview

इस बार 24 नवंबर हैं तुलसी विवाह की तिथि 

इस बार तुलसी विवाह 24 नवंबर 2023 Tulsi Vivah 2023” को किया जाएगा यानि आज से दो दिन बाद। Tulsi Vivah 2023 तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी को किया जाता हैं। और ये देवउठनी एकादशी दिवाली से 10 दिन बाद आती है। Tulsi Vivah 2023 इस दिन व्रत रखा जाता हैं। इस देवउठनी एकादशी वाले दिन भगवान विष्णुजी योग निद्रा से जागते हैं। और इसके बाद तुलसी जी का विवाह कराया जाता है।  

तुलसी विवाह कराने से धन संबंधी हर समस्या का होगा अंत 

ज्योतिषाचार्य पं अविनाश मिश्रा का कहना हैं की यदि आप तुसली विवाह “Tulsi Vivah 2023 ” कराते हैं तो आपके घर में धन से जुडी हर समस्या का अंत होगा। आपके घर में सुख और समृद्धि आ जाएगी। हम सभी जानते हैं भगवान् विष्णु यानि सत्यनारायण स्वामी की पत्नी माता लक्ष्मी हैं।  फिर क्यों माता तुलसी का विवाह भगवान विष्णु से किया जाता है?  ऐसी कौन सी वजय है की तुलसी के साथ श्रीहरि विष्णु का विवाह किया जाता हैं। चलिए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।   

तुलसी विवाह क्यों कराया जाता हैं 

पं अविनाश मिश्रा के अनुसार और सूत्रों के मुताबिक देवतागण मिलकर भगवान विष्णु के पास असुर जालंधर से मुक्ति पाने के लिए पहुंचे और उन्हें सारी बात उन्हें बताई। जब भगवान विष्णु ने ध्यान लगाया तो पाया की असुर जालंधर की पत्नी वृंदा पति व्रता नारी हैं। जब तक उसके इस धर्म को नहीं तोडा गया तब तक जालंधर का वध करना संभव नहीं हैं।  

Tulsi Vivah

इस समस्या का सभी देवताओ ने मिलाकर समाधान निकाला। इसके बाद भगवान विष्णु जालंधर की पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म को तोड़ने के लिए जालंधर भेष बदलकर कर उनके पास गए और  वृंदा को स्पर्श कर लिया।  जिसके पश्चात वृंदा का पतिव्रत धर्म टूट गया। जिसके बाद से जालंधर की शक्ति कमजोर हो गई।  और फिर युद्ध में भगवान शिव जी ने असुर जालंधर के सिर को धड़ से अलग कर दिया।  

वृंदा ने भगवान श्रीहरि विष्णु को दिया श्राप 

जालंधर की पत्नी वृंदा विष्णु भगवान की परम भक्त थी। परंतु जब उन्हें पता चला कि भगवान विष्णु ने उनके साथ छल किया है। तो उनको बहुत दुःख हुआ। और दुखी वृंदा ने भगवान विष्णु को कहा की मेरे पतिव्रता धर्म को तोड़ने के लिए मैं तुम्हे श्राप देती हूँ कि तुम तुरंत पत्थर के बन जाओगे। 

जिसके बाद भगवान विष्णुजी ने देवी वृंदा का श्राप स्वीकार किया और वे एक पत्थर के रूप में बदल गए। जब माता लक्ष्मी ने ये देखा तो उन्होंने वृंदा से प्रार्थना की, कि वह भगवान विष्णुजी को दिया हुआ श्राप वापिस ले ले।  

शालीग्राम एवं तुलसी जी का विवाह

पौराणिक कथाओ और पं मिश्रा ने के अनुसार, माता लक्ष्मी के आग्रह करने पर वृंदा ने भगवान विष्णु को तो श्राप से मुक्त कर दिया। परन्तु उसके बाद से वृंदा ने खुद ही आत्मदाह कर लिया। जिस जगह पर जालंधर की पत्नी वृंदा भस्म हुई उस जगह एक पौधा उग गया था।  

भगवान विष्णु जी ने उस पौधे को तुलसी नाम दिया। और कहा कि मेरा एक रूप इस पत्थर में शालिग्राम नाम से हमेशा रहेगा। और इसकी पूजा तुलसी जी के साथ ही होगी। जिसके बाद से हर साल विष्णु जी के स्वरूप शालिग्राम एवं तुलसी का विवाह “Tulsi Vivah 2023 देवउठनी एकादशी पर कराया जाता है। क्या आप जानते हैं जालंधर कौन था और किसे पैदा हुआ था? 

कौन था जालंधर, कैसे हुआ उसका जन्म 

हिंदू पौराणिक कथाओं में जालंधर को एक असुर बताया गया हैं। जालंधर का जन्म तब हुआ था जब अपने क्रोध में भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी। क्योंकी इंद्र ने अपने बज्र से भगवान शिव पर प्रहार करने की कोशिश की थी। ऐसा करने पर इंद्र की भुजा लकवाग्रस्त हो गई। 

तब भगवान् शिव ने इंद्र को मारने से बचने के लिए अग्नि ऊर्जा को अपनी आंख से समुद्र की ओर भेजा। बाद में यही ऊर्जा समुंदर में मिलने से एक लड़के के रूप में बदल जाती हैं। जब वह लड़का रोया तो ब्रह्मा अपने निवास स्थान से नीचे उतरे तब समुंदर देव ने उन्हें बताया की उन्हें नहीं पता कि ये लड़का कहां से आया है। 

जब ब्रह्मा ने ध्यान लगाया तो वो सब जान गए और कहा की ये लड़का शिव की ऊर्जा से ही पैदा हुआ हैं और इसे भगवान् शिव के अलावा कोई और नहीं मार सकता।   

Tulsi Vivah 2023 जब तुलसी विवाह किया जाता हैं तब माता की आरती और कुछ मंत्र पढ़े जाते हैं जिनकी जानकारी हमने नीचे दी हैं।    

तुलसी माता की आरती 

जय जय तुलसी माता

सब जग की सुख दाता, वर दाता

जय जय तुलसी माता ।।

सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर

रुज से रक्षा करके भव त्राता

जय जय तुलसी माता।।

बटु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या

विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता

जय जय तुलसी माता ।।

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वन्दित

पतित जनो की तारिणी विख्याता

जय जय तुलसी माता ।।

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में

मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता

जय जय तुलसी माता ।।

हरि को तुम अति प्यारी, श्यामवरण तुम्हारी

प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता

जय जय तुलसी माता ।।

मां तुलसी का पूजन मंत्र 

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।  

तुलसी माता का ध्यान मंत्र 

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।  

निष्कर्ष 

तुलसी विवाह “Tulsi Vivah 2023 ” के दिन तुलसी माता की आरती और मंत्र पढ़े जाते हैं। इन आरती और मंत्रों को पढ़ने से भगवान विष्णु और माता तुलसी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन तुलसी विवाह करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आप सभी की तुलसी विवाह Tulsi Vivah 2023 की बधाई हो। 

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