Parliament Attack: 22 साल बाद संसद पर फिर से हमले की आशंका, खालिस्तानी आतंकियों की धमकी के बाद लोकसभा में हंगामा

mithlesh
8 Min Read

Parliament Attack: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,13 दिसंबर के दिन शहीद हुए नो जवानो और संसद कर्मियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। जब वो इन शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे थे सभी की आँखे नम थी और वो 22 साल पहले हुए हमले को याद कर रहे थे। 

दरसल 13 दिसंबर ही के दिन कुछ आतंकियों ने संसद पर हमला कर मौत का तांडव रचा था। ये बात लगभग 22 साल पहले की हैं। वीर बलिदानियों को नमन कर सब काले बुधवार’ के उस दुखद दिन को याद कर रहे थे की तभी संसद में दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से कार्यवाही के दौरान लोकसभा में कूद गए। किसी को भी ये समझ नहीं आ रहा था की ये सब क्या हो रहा हैं। आज की इस पोस्ट में हम आपको “Parliament Attack” के बारे में सारी जानकारी देने वाले हैं।  

#1. 13 दिसंबर, 2001 को हुआ था Parliament Attack

बात 13 दिसंबर, की हैं जब पार्लियामेंट में दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से संसद में कूद पड़े। तब सबको इस दिन हुए 22 साल पहले के हमले की याद आ गई। जिसमे जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकी सफेद रंग की एम्बेसडर कार से संसद परिसर में करीब 11:30 बजे दाखिल हुए थे। जिस समय पार्ल्यामेंट में आतंक हुआ उस वक़्त लगभग सौ सदस्य सदन में उपस्थित थे। आतकवादियो ने संसद में आते ही एके-47 से अंधाधुंध गोलिया बरसानी शुरू कर दी।  

आपको बता दे की लोकसभा के सभी सदस्यों के कानों में बस खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमियों की आवाज ही गूँज रही थी। सब सदस्य इतना घबरा गए थे की अब उन्हें ये लगने लगा था ही ये उनकी जिंदगी का आखिरी दिन होगा।    

#2. सुरक्षा में तैनात वीर जवानों ने सदन में करने नहीं दिया प्रवेश

जब संसद पर ये हमला हुआ उस समय सौ सदस्य सदन के अंदर थे। और बाहर अंधाधुंध गोलियां चल रही थी।   परंतु  सुरक्षा में तैनात वीर जवानों ने बड़ी बहादुरी के साथ उन आतंकियों का सामना किया और उन्हें सदन में प्रवेश तक नहीं करने दिया। आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में जवान और संसद के कर्मियों सहित लगभग नौ वीर बलिदान हुए थे।  

#3. संसद सदस्यों के चेहरों पर नजर आए चिंता के भाव 

इस आतंकी हमले को याद कर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित वरिष्ठ नेताओं की आँखों में आँसू आ गए। साल 2001 में हुई ये आतंकी घटना काले बुधवार के रूप में दर्ज हो गई हैं। दरसल ये सभी नेता इस हमले में शहीद हुए नो जवानो और संसद कर्मियों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे।  

आपकी जानकरी के लिए बता दे की अब संसद सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दरसल कुछ दिन पहले ही खालिस्तानी आंतकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी संसद पर हमला करने की धमकी थी। उसने एक वीडियो शेयर किया था। 

उस वीडियो में गुरपतवंत सिंह पन्नू ने साफ साफ कहा था की मैं 13 दिसंबर को संसद में हमला करके जवाब देगा। जिसके चलते संसद की सुरक्षा व्यवस्था और भी ज्यादा बढ़ा दी गई। इतनी सुरक्षा के बाद  दो प्रदर्शनकारी संसद के बाहर हाथ में टियर गैस कनस्तर लेकर नारे लगाने लगे।  

इनमें एक तो महिला थी और दूसरा पुरुष। सुरक्षाकर्मियों ने इन दोनों को पकड़ लिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कुछ देर बाद दो संदिग्ध युवक विजिटर गैलरी से सदन में कूद गए तभी सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया।  

अब इन सब घटनाओं क बाद से सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था  पर सवाल खड़े हो गए हैं। संसद भवन हमारे देश भारत के लोकतंत्र का प्रतीक और गौरव है और उसकी सुरक्षा व्यवस्था को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए।  

#4. साल 2001 की घटना काले अध्याय के रूप में है दर्ज

आपकी जानकारी के लिए बता दे की सुदीप बंदोपाध्याय जो तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं ने कहा हैं की ये 2001 का अनुभव बहुत ही भयानक था। आगे उन्होंने कहा की किसी को भी नहीं पता था की आतंकी हमले क्यों कर रहे हैं और संसद में ये सब क्यों हो रहा हैं। जो भी हुआ बस अचानक से और बहुत ही भयानक हुआ। 

 हाल ही में हुए हमले को लेकर बसपा सांसद मलूक नागर कहते हैं की उस समय सबके दिमाग में बस दो ही चीजे चल रही थी। ये सब क्या हो रहा है? और हम जिन्दा बचेंगे भी या नहीं। क्योकि साल 2001 की दहशत इतनी भयानक थी की सबके रोंगटे खड़े हो गए थे।  

निष्कर्ष

13 दिसंबर, 2001 को भारत की संसद पर हुए आतंकी हमला, एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हैं। इस हमले में कुल मिलाकर नौ लोगों की जान गई थी, जिनमें सुरक्षाकर्मी, संसद के कर्मचारी और एक नागरिक शामिल थे। इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए थे।

हाल ही में, खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा संसद पर हमले की धमकी के बाद, संसद की सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है। हालांकि, दो प्रदर्शनकारियों द्वारा संसद के बाहर टियर गैस कनस्तर लेकर नारे लगाने और दो संदिग्ध युवकों द्वारा विजिटर गैलरी से सदन में कूदने की घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

Parliament Attack के इन घटनाओं से स्पष्ट है कि संसद की सुरक्षा व्यवस्था में अभी भी कमियां हैं। संसद भवन भारत के लोकतंत्र का प्रतीक है और संसद की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार को संसद की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार संसद पर हुए हमले से मिले सबक को सीखेगी और भारत की सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाएगी। आशा करते हैं की आपको “Parliament Attack ” से जुडी ये जानकारी पसंद आई होगी। 

जरूर पढ़े

Share this Article
Leave a comment